भोपाल मास्टर प्लान 2047 में पर्यावरणीय दृष्टिकोण से न केवल मध्य भारत की राजधानी है, बल्कि झीलों की नगरी और रामसर साइट के अंतर्गत “भोजताल (बड़ा तालाब)”, जैसी अंतरराष्ट्रीय महत्व की प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षक भी है। इसके पूर्व भोपाल मास्टर प्लान 2031 एक पूर्ववर्ती योजना थी जिसे मध्यप्रदेश शासन द्वारा राजधानी के सुनियोजित विकास के लिए तैयार किया गया था। यह योजना अब 2047 के नए मास्टर प्लान से प्रतिस्थापित की गई है। प्लान के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालें:

सड़क और बुनियादी ढांचा:
– सड़कों की चौड़ाई 12 से 18 मीटर तक निर्धारित की गई
– अवधपुरी से हथाईखेड़ा मार्ग को 30 मीटर चौड़ा बनाने का प्रस्ताव
– ग्रामीण सड़कों को 18 मीटर चौड़ा करने की योजना

भूमि उपयोग और ज़ोनिंगः
– अरेरा कॉलोनी, चूना भट्टी, विजयनगर जैसे क्षेत्रों के लिए विशेष मापदंड आदि किए गए।

4. एक विशेष CMU (Comprehensive Mixed Use), के अंतर्गत शहर का समावेशी विकास।

5. पर्यावरणीय संरक्षणः- बड़े तालाब, बाघ भ्रमण क्षेत्र, केरवा जल भराव क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए विशेष संशोधन प्रस्तावित थे – हथाईखेड़ा बांध के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र को हरित क्षेत्र घोषित किया गया

प्लान 2031 से 2047 की ओर बदलाव क्यों?
प्लान 2031 योजना पर आपत्तियों और सुझावों के बाद सरकार ने इसे रद्द कर दिया और 2047 के लिए नया मास्टर प्लान तैयार
करना शुरू किया है।
नए प्लान में प्लानिंग एरिया 813.92 से बढ़ाकर 1016.90 वर्ग किमी किया गया है और नए गांवों को शामिल कर अब 254 गाँव है।
भोपाल का नया मास्टर प्लान 2047 एक दूरदर्शी योजना है जो राजधानी को आधुनिक बनाने के साथ ही पर्यावरण-संवेदनशील और व्यवस्थित शहर के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह प्लान अब अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा।

भोपाल मास्टर प्लान 2047 की मुख्य बातें:
1. विस्तारित कार्य योजना क्षेत्र:- प्लान 2047 में कुल क्षेत्रफल: 1,016.90 वर्ग किलोमीटर प्रस्तावित है।
2. कुल गांव: 254 गांव शामिल किये गए हैं।
3. भोपाल एवं आसपास के सभी तालाबों के विकास की भी योजना है। ग्रीन एरिया बढ़ाने और सतत विकास को प्राथमिकता दी गई है।
4. भोपाल के बड़े तालाब, केरवा और कलियासोत के कैचमेंट एरिया में सख्त प्रावधानों की समीक्षा की जा रही है।

कारण ज्ञात हो Sandarbh batate hen कि, स्वर्गीय राजा भोज ने 11वीं शताब्दी में कोलांस नदी पर भोजताल का निर्माण कराया था, भारत के महान राजाओं में से एक थे। उनका जन्म मालवा के प्रसिद्ध परमार वंश में हुआ था। एक कुशल सेनापति, राजा भोज अपने सैन्य अभियानों के साथ-साथ पर्यावरण और जलाशयों के प्रति अपने प्रेम और जुनून के लिए भी प्रसिद्ध थे। उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक विशाल भोजताल जलाशय का निर्माण था, जो आज के भोपाल की जीवन रेखा है।

भोजताल, जिसे ‘बड़ा तालाब’ या ‘ऊपरी झील’ (अपर लेक), के नाम से भी जाना जाता है, के अलावा कलियासोत बांध, केरवा बांध, शाहपुरा झील, छोटा तालाब या निचली झील और महुआखेड़ा बांध जैसे कुछ और भी जलाशय उपलब्ध हैं।

इन सभी जलाशयों में जलग्रहण क्षेत्र पर स्थित वन क्षेत्र भी शामिल है; यदि एक किमी ऊपर से एक पक्षी की दृष्टि से विहंगम दृश्य देखें, तो यहाँ वनों का एक संपूर्ण “पारिस्थितिकी तंत्र” दिखता है, जिसमें प्रचुर जैव-विविधता के साथ अनेक जलीय प्राणियों की विविधिता भी शामिल है । भोजताल को अगस्त 2002 में रामसर साइट में शामिल किया गया था। रामसर अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि की पहचान करता है, विशेष रूप से वे जो जलपक्षी आवास प्रदान करती हैं। 2016 तक, दुनिया भर में 2,231 रामसर स्थल थे, जो 214,936,005 हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षित कर रहे थे। (स्रोत: विकिपीडिया)

CMU का मतलब है (Comprehensive Mixed Use), ज़ोन से तात्पर्य। यह एक आधुनिक शहरी नियोजन की अवधारणा है, जिसमें एक ही क्षेत्र में आवासीय, वाणिज्यिक, पर्यावरण संरक्षण और मनोरंजन गतिविधियों को साकार रूप देने की योजनाओं का समावेश होगा। भोपाल शहर को विकास की दृष्टि से विभिन्न ज़ोन में बाँटा गया है। इसके तहत का शहर के विकास को केंद्र बिंदु में रखा है। इन ज़ोन्स में विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ एक साथ संचालित की जा सकेंगी जिससे शहरी जीवन और विकास अधिक समावेशी, गतिशील और सुविधाजनक होगा तथा पर्यावरणीय है।

CMU-1: मुख्य सड़क किनारे मिश्रित उपयोग, FAR* 3.0 मीटर तक | मुख्य सड़क किनारे, पुराने शहर के आसपास, आवासीय भवन, छोटे ऑफिस, रिटेल दुकानें, स्कूल/कोचिंग सेंटर | मध्यम घनत्व, स्थानीय सुविधाएँ, पैदल यात्री के अनुकूल विकसित करने की योजना है।
CMU-2: मेट्रो रूट के दोनों ओर, FAR* 4.0 मी. तक मेट्रो रूट के दोनों ओर (जैसे AIIMS) हॉस्पिटल, हाईराइज अपार्टमेंट, मॉल और मल्टीप्लेक्स, कॉलेज/प्रशिक्षण संस्थान एवं उच्च घनत्व, मेट्रो से जुड़ी गतिशीलता, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर |
CMU-3: विशेष वाणिज्यिक/संस्थागत केंद्र, FAR* 5.0 मी. FAR तक विशेष वाणिज्यिक केंद्र (जैसे रायसेन रोड, एयरपोर्ट क्षेत्र), कॉर्पोरेट ऑफिस, होटल और कन्वेंशन सेंटर, लाइट इंडस्ट्री, मनोरंजन पार्क । क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र, निवेश और रोजगार के अवसर, चार दिशाओं में नए व्यापारिक केंद्र: अयोध्या नगर, रायसेन रोड, एयरपोर्ट दिशा में भोंरी और करोंद के आसपास प्रस्तावित हैं।

*FAR: का मतलब (Floor Area Ratio) 3 से 5 तक की अनुमति, सड़क की चौड़ाई के अनुसार होगी।

CMU के लाभ और पर्यावरणीय दृस्टिकोण :
– यातायात को सुगम एवं कम दबाव वाले बनाना।
– ऊर्जा की बचत होती है।
– हरित क्षेत्र और सार्वजनिक स्थानों को नियोजित रूप से शामिल किया जाता है।
– भूमि का सर्वोत्तम उपयोग करना।
– लोगों को काम, घर, और सुविधाएं एक ही क्षेत्र में उपलब्ध कराना
– शहर को अधिक जीवंत और गतिशील और पर्यवारण अनुकूल बनाना
– आवासीय अपार्टमेंट
– ऑफिस और को-वर्किंग स्पेस
– स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल
– मॉल, सिनेमा, कैफे
– पार्क और सार्वजनिक स्थल जैसी सुविधा
– हरित क्षेत्र और जल प्रबंधन को नियोजित रूप से शामिल किया गया है और “कार्बन उत्सर्जन”
में कमी लाना भी शामिल किया जगया है।
– ऊर्जा दक्षता और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश प्रस्तावित हैं।
– मेट्रो से जुड़ाव से यातायात और सुगम बनाना।

4. आवासीय क्षेत्र का पुनर्गठनः
जनसंख्या घनत्व के आधार पर 5 रेसिडेंशियल जनरल (RG) ज़ोन बनाए गए हैं: RG-1 से RG-5

भोपाल मास्टर प्लान 2047 में पर्यावरणीय प्रावधानः

1. झीलों और जलग्रहण क्षेत्रों का संरक्षण
– बड़े तालाब (भोजताल) का कैचमेंट एरिया 331 हेक्टेयर तक बढ़ाया जाएगा।
– अन्य झीलों और जल भराव क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए हरित क्षेत्र (Green Zones) को यथावत रखा जाएगा।
– जलग्रहण क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर नियंत्रण और पुनः मूल्यांकन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

2. वन क्षेत्र और बाघ भ्रमण क्षेत्र का संरक्षण
– मास्टर प्लान में वन भूमि और बाघ भ्रमण क्षेत्र को संरक्षित रखने के लिए विशेष प्रावधान हैं।
– शहरी विस्तार के दौरान इन क्षेत्रों को अछूता और सुरक्षित रखने की नीति अपनाई गई है।

3. नदी और नहर संरक्षणः
– नहरों के दोनों ओर 15-15 मीटर चौड़े हरित मार्ग प्रस्तावित हैं, जिससे जल स्रोतों के किनारे हरियाली बनी रहे।
– भूमि अधिग्रहण के आधार पर इन मार्गों को सुलभ और पर्यावरण-संवेदनशील रूप में विकसित किया जाएगा।

4. पर्यावरणीय संवेदनशीलताः
इसके अंतर्गत और आधार पर संशोधन
– मास्टर प्लान 2031 के ड्राफ्ट में प्राप्त आपत्तियों और सुझावों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरणीय दृष्टिकोण से कई संशोधन किए गए हैं।
– उदाहरण: अरेरा कॉलोनी को मिश्रित भूमि उपयोग से मुक्त कर केवल आवासीय क्षेत्र घोषित किया गया।

विशेष उल्लेखः
“भोपाल विकास योजना 2031 में प्रस्तावित झीलों के हरित क्षेत्रों को यथावत रखा जाना और बाघ भ्रमण क्षेत्र में वन भूमि का संरक्षण सुनिश्चित किया गया है।”

शहरी विकास पर प्रभावः
– नए CMU ज़ोन (मिश्रित उपयोग क्षेत्र) से शहर में आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थागत गतिविधियाँ एक साथ बढ़ेंगी, जिससे शहर का स्वरूप अधिक गतिशील और आधुनिक होगा।
– मेट्रो रूट के दोनों ओर हाईराइज बिल्डिंग्स की अनुमति से शहर का स्काईलाइन बदलेगा, और शहरी घनत्व बढ़ेगा।

पर्यावरणीय प्रभावः
– झीलों और कैचमेंट क्षेत्रों का संरक्षण सुनिश्चित करने से जल स्रोतों की गुणवत्ता और स्थायित्व बना रहेगा।
– वन क्षेत्र और बाघ भ्रमण क्षेत्र को संरक्षित रखने से जैव विविधता को लाभ मिलेगा और शहरी विस्तार के बावजूद प्राकृतिक संतुलन बना रहेगा।
– ग्रीन कॉरिडोर और नहर किनारे हरित मार्ग से शहर में हरियाली और शुद्ध वायु का स्तर बेहतर होगा।

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावः
– पुराने आवासीय क्षेत्रों में पुनर्विकास की संभावना से सामाजिक संरचना में बदलाव आएगा कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व बढ़ेगा, तो कुछ में मूल निवासियों का विस्थापन भी संभव है।
– परंपरागत मोहल्लों और सांस्कृतिक स्थलों को संरक्षित रखने की नीति यदि सही ढंग से लागू हो, तो भोपाल की सांस्कृतिक पहचान बनी रहेगी।

आर्थिक प्रभावः
– नए कमर्शियल हब और मेट्रो कनेक्टिविटी से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
– भूमि उपयोग में बदलाव से भूमि की कीमतों में उतार-चढ़ाव होगा – कुछ क्षेत्रों में तेजी से मूल्य वृद्धि संभव है।

सारांश में:
भोपाल मास्टर प्लान 2047 यदि संतुलित, पारदर्शी और पर्यावरण-संवेदनशील ढंग से लागू किया जाए, तो यह शहर को एक स्मार्ट, हरित और समावेशी राजधानी में बदल सकता है। इसके लिए स्थानीय समुदायों, विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के बीच सतत संवाद और वक विशेष पर्यावरणीय कमेटी को बनाना होगा जो वन एवं पर्यावरण मुद्दों पर सटीक निगरानी कर सकेगे।

साभार संदर्भ : Google एवं Wikipedia

लेखकः
से.नि. भा.व.से. एवं सम्पादक मी एण्ड माय अर्थ

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